धूमधाम से मनाये जा रहे हैं आजादी के साल पचहत्तर, पहाड़ के हालात आज भी बत्तर। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण की मौत।

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कहने तो उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा कोई नया किस्सा नहीं,बल्कि अब पहाड़ियों के जीवन का हिस्सा बन चुका है। सरकारों जिम्मेदारों के लिए उत्तराखंड राज्य किसी नाटकीय अभिनय के मंच की तरह हो गया है, पर्दे पर आओ अभिनय दिखाओ और तालियां बजवाओ लेकिन पर्दे के पीछे के हालात आज भी उसी तरह अव्यस्थित हैं, इनमें कोई बदलाव नहीं आया है। ताजा मामला मामला उत्तराखंड के पहाड़ी जनपद चमोली से सामने आया है, जहां रौता गांव में एक बुजुर्ग की अचानक तबीयत बिगड़ने पर ग्रामीणों ने डोली के सहारे 10 किमी पैदल चलकर अस्पताल तक पहुंचाया, अस्पताल में भी सुविधाओं का अभाव रहा, जिस कारण उन्हें ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया लेकिन समय पर उचित इलाज न मिलने पर बुजुर्ग की मौत हो गई। परिजनों और ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन व पीएमजीएसवाई पर लापरवाही का आरोप लगाया।


मीडिया रिपोर्टों की जानकारी के अनुसार चमोली के रौता गांव निवासी 80 वर्षीय नंदन सिंह को पिछले चार माह से ब्लड प्रेशर की समस्या हो रही थी और उनका इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोखरी में चल रहा था। 7 अगस्त की रात को बुजुर्ग की अचानक तबीयत ज्यादा खराब होने लगी, लेकिन सड़क मार्ग बंद होने के कारण परिजन कुछ नहीं कर सके। सोमवार को परिजनों ने किसी तरह डांडी-कांडी पर बैठाकर 10 किमी दुर्गम कठिन रास्तों को पैदल चलकर बुजुर्ग को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोखरी पहुंचाया, जहां से उन्हें एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया। जहां गंभीर स्थिति के कारण इलाज के दौरान नंदन सिंह की देर शाम मौत हो गई।

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