चेतावनी: उत्तराखंड वालो समय रहते चेत जाओ …..।

विनोद पंत जी खंतोली,बागेश्वर

उत्तराखंड वालो अभी भी समय है चेत जाओ।नही चाहिये ऐसा पर्यटन प्रदेश,नही चाहिये ऐसी रिसोर्ट सस्कृति,जहां पर बहन बेटियो को अपनी आबरू का सौदा करने को बाध्य किया जाता हो।
अरे इस प्रदेश को देवभूमि कहते हैं, ये धार्मिक पर्यटन के लिए जाना जाता है।यहां लोग मोक्ष की कामना और मन की शान्ति के लिए आते है।
भगवान के लिए राजनीति न करें अगर करे तो प्रदेश हित के लिए करें सस्कृति बचाने के लिए करे। सभी दलो के कार्यकर्ता अपने नेताओ पर दबाव बनाऐ कि ये जगह जगह ऐय्याशी के अड्डे न खुलने पायें। वार क कोडा पार क कोडा कैं नाम धरों वाली बात बन्द करें ।
एक बात और अपनी जमीने जिन पर तुम्हारे पुरखो की आत्मा बसी है उसे चन्द रुपयो के लालच मे न बेचे . नही तो इस देवभूमि को लोग थाईलेण्ड या बैंकाक जैसी निगाहो से देखेगे ।


आज अंकिता भण्डारी ही नही मरी है , मरी है हमारी सस्कृति, हमारी संवेदनाऐ ,हमारे सस्कार ,मरा है मेरा पहाड़
आज मां नन्दा रो रही होगी कि मेरे मायके मे मेरी बहिनो के साथ क्या हो रहा है।गंगोलीहाट की काली मां और दूनागिरि पूनागिरि की देवी मां,गढवाल की धारी देवी तुम्हे श्राप दे रही होगी।हे मेरे उत्तराखंड के कर्णधारो देवियों के श्राप से डरो।
अगर ऐसी पर्यटन सस्कृति से ही विकास हो सकता है तो नही चाहिये विकास,भूखे रह लेगे , बिना इलाज मरना मंजूर है पर किसी बहन बेटी के आसुओ की कीमत पर विकास नही चाहिये।आज अंकिता भंडारी ने गलत के आगे न झुककर अपनी जान दे दी और हमे आगाह कर गयी कि मर जाना पर जुल्म न सहना।
एक गरीब बाप की बेटी अब वापस तो नही आ सकती लेकिन अगर बम उसके बलिदान से सबक लेकर देवभूमि को हैवानो ( चाहे बाहरी हों या अपने ) से बचाने का अपने अपने स्तर पर प्रयास कर करे तो अंकिता की आत्मा को शान्ति मिल सकेगी , उसका बलिदान व्यर्थ नही जाएगा ।
कानून से न्याय की उम्मीद तो जो है सो है ही मैं गोलज्यू महाराज से प्रार्थना करता हूं कि अब आप ही न्याय करना और रक्षा करना मेरे पहाड की ।


विनोद पंत खंतोली जी लम्बे समय से कुमाउनी एवं हिन्दी की अनेकों विधाओं पर लेखन कार्य कर रहे हैं एवं समय समय पर ज्वलंत मुद्दों को अपनी लेखनी से उजागर करते हैं।

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