उत्तराखंड:स्वरोजगार की उम्मीद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लटका ताला, तरक्की की थी उम्मीद मिली निराशा।

कोरोना महामारी के दौरान महानगरों में धक्के खाने के बाद जहां पहाड़ों के युवाओं के अंदर अपने गांव क्षेत्र में कुछ ललक जगी थी वहीं राज्य व केन्द्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत स्वरोजगार अभियान पहाड़ के युवाओं के लिए उम्मीद बनी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने बागेश्वर जिले के काण्डा दिगोली निवासी कृपाल सिंह की उम्मीदें धरी की धरी रह गई है।

दिगोली का युवक कृपाल बोरा का जीवन पहाड़ के अन्य युवकों की तरह ही था। उसने नौकरी के लिए महानगरों की खाक छानी , 19 साल तक उसने गुजरात, नासिक शहर में प्लास्टिक बैग, सिमेंट बैग, नॉन वोविन फेब्रिक बैग बनाने का काम किया।साथ ही इन कार्यों की बारिकी को समझा,जिसके बाद कृपाल सिंह की कोरोना महामारी के चलते उसकी नौकरी गई तो वह लौट आया। यहां उसने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत उद्योग विभाग से 21 लाख का ऋण लेकर नॉन वोविन बैग बनाने का काम शुरू किया और इसमें धीरे-धीरे इनका कार्य प्रगति करने लगा। गांव के नजदीकी कस्बे कांडा पड़ाव में किराये में भवन लेकर 16 लाख की मशीन लगाई। कृपाल ने अपने साथ साथ गांव के ही आठ बेरोजगार लोगों को रोजगार दिया।
उनके प्लास्टिक बैग, सिमेंट बैग, नॉन वोविन फेब्रिक बैग का उत्पाद कांडा बागेश्वर, गरुड़, रीमा, कपकोट, काफलीगैर, सेराघाट,पिथौरागढ़ अल्मोड़ा आदि जगहों पर फैल चुका था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक से प्लांट हुआ बंद।
नबंबर 2021 को जिला उद्योग केंद्र बागेश्वर की ओर से कृपाल सिंह को उपक्रम तुरंत बंद करने का नोटिस आया, जिसमें सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने का आदेश था। यह झटका ही था, लेकिन फिर भी बाजार में नांनवोबिन चल रहा था तो मजबूरी में उपक्रम जैसे-तैसे चला। फिर जून 2022 को उपक्रम को पूरी तरह बंद करने के आदेश आया और उद्योग में ताला लग गया। जिसके बाद प्रगतिशील उद्यमी कृपाल सिंह के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।नव उद्यमी युवक कृपाल जिलाधिकारी, एसडीएम कांडा, समाज कल्याण मंत्री, विधायक कपकोट, उद्योग विभाग, जिला पंचायत बागेश्वर समेत तमाल लोगों से मिल कर अपनी समस्या बता चुका है। सबसे बड़ी चिंता है 16 लाख की लागत की मशीन कूड़ा हो गई है। इतना बड़ा घाटा होने के बाद भी युवक ने विकल्प के तौर पर बायोडिग्रेबल कम्पोस्टेबल कैरिबैग बनाने का विकल्प शासन-प्रशासन के सम्मुख रखा है। इसके अप्रूवल के लिए दरदर भटक रहा है।

प्लास्टिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंद हो गया है। इस तरह के प्लांट भी बंद होंगे। कृपाल को उद्योग विभाग से बात कर जो भी मदद मिल सकती है वह दी जाएगी, युवा उद्यमी की पूरी मदद की जाएगी । – रीना जोशी, डीएम बागेश्वर।

उपरोक्त मामले के बाद कृपाल सिंह की उम्मीदें धराशयी हुई है वहीं ऋण लेकर स्वरोजगार कर रहे युवाओं में डर बना हुआ है उम्मीद है कि शासन प्रशासन कृपाल सिंह की उचित मदद कर दोबारा उम्मीदों को पंख देगा।

Himfla
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