गुलाबी शरारा यूट्यूब पर लौटा, गजेंद्र राणा ने चंदा कैसेट को ठहराया स्ट्राइक का जिम्मेदार

उत्तराखंड के लोकप्रिय कलाकार इंदर आर्या का विश्वप्रसिद्ध गीत गुलाबी शरारा यूट्यूब पर वापस आ गया है जिसके बाद इस गीत के प्रेमियों में खुशी की लहर है वही इस गीत पर स्ट्राइक लगाने के जिम्मेदार माने जा रहे लोक कलाकार गजेंद्र राणा ने इस मामले में अपनी सफाई देते हुए कहा है की इस गीत पर उनके द्वारा नही बल्कि चंदा कैसेट द्वारा स्ट्राइक लगाई गई थी जिसमे उनका कोई हाथ नहीं है, वही गजेंद्र राणा द्वारा गुलाबी शरारा गीत की तारीफ करते हुए कहा की हम खुशी है की इस गीत ने 15 करोड़ लोगो को उत्तराखंड के संगीत से रूबरू कराया।

लंबे विवादों के बाद उत्तराखंड का सबसे ज्यादा व्यूज वाला कुमाऊनी गीत गुलाबी शरारा यूट्यूब पर दुबारा वापस आ गया है। देश विदेश में तहलका मचाने वाला यह गीत यूट्यूब पर उत्तराखंड का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला गीत है। यूट्यूब पर इस गीत को 140 मिलियन यानी 14 करोड़ व्यूज मिले हैं। इस गीत पर देश विदेश की कई नामी हस्तियां पर गाने पर नाचती हुई नजर आ चुकी हैं। इस गीत को यंग उत्तराखंड नामक चैनल ने लांच किया था। उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक इंदर आर्य ने इस कुमाऊनी लोक गीत को अपनी आवाज दी है। कुछ सप्ताह पूर्व इंद्र आर्य का गीत गुलाबी शरारा फेसबुक से हट गया था जिससे पूरे उत्तराखंड के कला जगत में एक चर्चा का विषय बन गया था।
बात इतनी बढ़ गई थी गीत को क्षेत्रवाद में बांट दिया था। लोगों ने बिना सच को जानें गजेंद्र राणा को गलियाते हुऐ अनाप-शनाप बोलना शुरू कर दिया था। अब गीत के गायक इंद्र आर्य ने सोशल मीडिया के मार्पफत जानकारी देते हुए कहा कि मेरी मेहनत और आप लोगों के संघर्ष से यह सब कुछ संभव हो पाया है।

लेकिन आखिर में सच्चाई सब के सामने आई तो पता चला कि “चंदा पहाड़ी” नाम की म्यूजिक कम्पनी ने इसके म्यूज़िक पर कॉपी राईट का इल्ज़ाम लगा कर यूट्यूब से हटवा दिया था। चैनल का कहना था कि इसकी धुन एक पुराने गढ़वाली गीत” चिट रुमाल,और पिगली साड़ी मा ”गीत से मिलती है जिसे प्रसिद्ध गायक गजेन्द्र सिंह राणा ने गाया था और उसके अधिकार के कंपनी के पास है। इसके बाद उसने कॉपीराइट का दावा ठोक दिया था। लेकिन एक बार फिर से इंद्र के तमाम संघर्ष के बाद गीत वापस यू ट्यूब में वापस आ गया। सूत्रों की मानें तो इंद्र आर्य इस गीत से दो करोड़ के लगभग की कमाई कर चुके हैं।

Himfla
Ad

Pahadi Bhula

Author has been into the media industry since 2012 and has been a supporter of free speech, in the world of digitization its really hard to find out fake news among the truth and we aim to bring the truth to the world.