विश्व विख्यात केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान बाबा केदार केस्वयंभू लिंग का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. दो दिन पहले ही मंदिर के गर्भ गृह में जाने की अनुमति भक्तों को मिली है और अनुमति मिलते ही भक्त बाबा केदार के स्वयंभू शिवलिंग का वीडियो वायरल कर रहे हैं। जबकि मंदिर के अंदर की फोटो खींचना और वीडियो बनाना सख्त वर्जित है।
केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज ने गर्भ गृह का वीडियो वायरल करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
धाम में तीर्थ यात्रियों की भीड़ अधिक होने के कारण बदरी-केदार मंदिर समिति की ओर से भक्तों को मंदिर के गर्भ गृह के दर्शन नहीं कराए जा रहे थे। लेकिन भीड़ कम होने के बाद गर्भ गृह में भक्तों को जाने दिया जा रहा है। लेकिन कई भक्त इसका गलत फायदा उठा रहे हैं और मंदिर के गर्भ गृह का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। जबकि मंदिर के भीतर की फोटो खींचना और वीडियो बनाना सख्त मना है।
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक भक्त की ओर से बाबा केदार के मंदिर के गर्भ गृह का वीडियो बनाया जा रहा है। इतना ही वीडियो में बाबा केदार के त्रिकोणीय आकार के स्वयंभू शिवलिंग को भी दिखाया जा रहा है। केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित अंकुर शुक्ला तीर्थ यात्रियों से निवेदन करते हुए कह रहे हैं कि वह धाम आएं और बाबा केदार के दर्शन करें. लेकिन मंदिर के गर्भ गृह का वीडियो ना बनाए।
मंदिर समिति की लापरवाहीः मंदिर के गर्भ गृह का वीडियो वायरल होने के बाद बदरी-केदार मंदिर समिति के कर्मचारियों की लापरवाही भी सामने आई है। हर समय मंदिर में कई कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। लेकिन बावजूद इसके वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के तिरुमाला पर्वत पर स्थित भगवान तिरुपति बालाजी मन्दिर में पूजा- अर्चना की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वेंकटेश्वर प्रभु से समस्त प्रदेशवासियों के सुख, शान्ति एवं कल्याण की कामना की। बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस दौरान साउथ इंडियन परिधान में मंदिर परिसर में नजर आए।
देवभूमि उत्तराखंड तो ज़रूर है मगर शायद अभी देवभूमि को देव आदर, सत्कार और नियम मानने में समय लगेगा।
एक तरफ हम चारधाम यात्रा करवा रहे है वही दूसरी तरफ चारधाम यात्रा पर्यटन से जोड़कर आस्था का वानीजीयिकरण कर आस्था को पैसा कमाने का जरिया बनाने मे जुटे है।
आज एक वीडियो के वायरल होने के बाद केदारनाथ की व्यवस्था पर व्यापक सवाल तो उठे ही वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिस प्रकार तिरुपति बालाजी मे धोती और अंगवस्त्र पहन दिख रहे है वो इस सवाल को और प्रबल करते है कि आस्था का ड्रेसकोड क्यों जरूरी है। देवस्थान पर केवल भक्त ही आये इस बात को सुनिश्चित करने का कर्तव्य ना सिर्फ मंदिर समिति का है बल्कि सरकार को भी सख्त नियम बनाने चाहिये और सोचना चाहिये, हमे रील चाहिये या भक्त।
वैसे अपने पाठकों को बता दे कि तिरुपति बालाजी मे ड्रेस कोड लागू है और इन वस्त्रो को पहनने की अनुमति नहीं है: बरमूडा, टी-शर्ट, पैंट, शरीर के अंगों को उजागर करने वाले किसी भी पश्चिमी पोशाक की अनुमति नहीं है।
क्या यह व्यवस्था उत्तराखंड के चारधाम मे लागू नही हो सकती? इस सवाल का जवाब तो अब दर्शन कर आये सूबे के प्रधान की दे सकते है।