किन्नर हजारों साल पुराने हैं। किन्नर आज ही नहीं बल्कि अपने आदिकाल से भुगत रहे हैं। आज भले ही कई कानून बन गए हों, लेकिन लोगों के मन में कुंठित मानसिकता वही है। उन्हें आज भी उसी हीन भावना से देखा जाता है। हालांकि, ये कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। लेकिन शुभ अवसर पर वे धन के लिए भी प्रार्थना करते हैं। किन्नरों से जुड़ी कई तरकीबें भी हैं।
उनकी स्थिति इतनी खराब है कि कोई उन्हें काम पर नहीं रखता, इसके कई कारण हैं। हर इंसान का अपना स्वाभिमान होता है, लेकिन सामाजिक भेदभाव के कारण उनका कहीं भी सम्मान नहीं होता है, जिसके कारण उन्हें बारातों में पैसे मांगकर अपना भरण-पोषण करना पड़ता है। लेकिन अब किन्नरों द्वारा लोगो को जबरन पैसा देने का दबाव बनाना आम बात हो गयी है। इनके द्वारा मनमंगे पैसे मांगे जाने से भारत के लगभग हर प्रदेश के लोग परेशान है, आलम यह है कि अगर इनको मुँह मांगे पैसे नही मिलते तो ये बद्दुआ देने से भी परहेज नही करते ऐसा ही एक मामला आज उत्तराखंड के ऋषिकेश से आया जहाँ किन्नरों द्वारा एक महिला के पेट मे इसलिये लात मार दी क्योंकि वो शगुन मे 51000 नही दे रही थी
उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है यहां ऋषिकेश कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत बनखंडी में सोमवार की दोपहर बधाई के बदले इनाम ना देने पर एक किन्नर ने प्रसूता के पेट में लात मार दी। बनखंडी कुएं वाली गली ऋषिकेश निवासी विपिन सैनी ने बताया कि उनकी पत्नी ने शिशु को जन्म दिया है। आपरेशन के बाद वह अपनी पति पत्नी और नवजात को बीते रोज घर लेकर आए थे। सोमवार की सुबह वह अपने काम पर चले गए। दोपहर करीब 12:00 बजे किन्नरों की टोली उनके घर पहुंची और बधाई के बदले 51 हजार रुपए मांगे।
विपिन सैनी के मुताबिक चिकित्सालय में पहले ही काफी खर्च हो चुका था। इसलिए उनकी पत्नी ने इतनी बड़ी धनराशि देने में असमर्थता जताई। जिस पर वहां मौजूद किन्नर विवाद करने लगे। विवाद के दौरान ही एक किन्नर ने उनकी पत्नी के पेट पर लात मार दी। पत्नी ने फोन करके उन्हें मामले की जानकारी दी, जिस पर वह घर पहुंचे. वह इनाम के तौर पर 51 सौ रुपया देने को तैयार थे। इस बीच वहां मौजूद गुस्साए लोग ने महिला के पेट में लात मारने वाले किन्नर की जमकर धुनाई कर दी और इन सभी को लेकर कोतवाली पहुंच गए। कोतवाली में किन्नरों की ओर से विपिन सैनी और महिला से माफी मांगी गई। जिसके बाद मामला शांत हुआ। कोतवाली में दिवस अधिकारी उप निरीक्षक शिव प्रसाद डबराल ने बताया कि दोनों पक्ष कोतवाली आए थे। मामले की लिखित शिकायत नहीं दी गई। कोतवाली के बाहर ही दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया।