उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले मे स्तिथ नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग(निम) त्0ने स्वर्णिम इतिहास के लिये जाना जाता है, इस संस्थान में तैयार होते है भविष्य के पर्वतारोही जो देश दुनिया मे इस संस्थान का नाम रोशन कर चुके है। इस संस्थान की एहमियत केदारनाथ आपदा में समझ आयी थी जब उच्च हिमालयी क्षेत्र के पुर्नगठन का कार्य निम को सौंपा गया था तब इनके प्रिंसिपल थे कर्नल अजय कोठियाल।
उस समय जो अदम्य साहस का परिचय इस संस्थान ने दिया था उसने इस संस्थान का परचम पूरे देश और दुनिया मे फैला दिया। तब से लेकर आज तक इस संस्थान ने पीछे मुड़कर नही देखा। इस संस्थान से सीखने के लिए लोगो को आवेदन करने के बाद 2 साल तक इंतजार करना पड़ता है।
कल यानी 4 अक्टूबर को आये हिमस्खलन मे संस्थान ने आपने ट्रेनर और ट्रेनी दोनों को खोया है। द्रौपदी का डांडा मे जो हुआ उसकी शायद ही किसी ने उम्मीद की होगी।
इस बीच सविता कंसवाल के इस हिमस्खलन मे दबने के कारण मृत्यु की खबर आ रही है जिसके बाद पूरे पर्वतारोहण समाज मे शोक की लहर छा गयी, सविता कंसवाल इसी साल 12 मई को दुनिया की सबसे ऊँचे पर्वत पर तिरंगा फहरा चुकी थी और इसके ठीक 16 दिन बाद 28 मई को माउंट मकालू (8463मीटर) पर भी तिरंगा फहरा चुकी है।
सविता कंसवाल उत्तरकाशी की रहने वाली थी और एक होनहार पर्वतारोही थी और उनकी मौत ने भारत का एक उभरता हुआ सितारा हमसे छीन लिया।