उत्तराखंड में एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
दाह संस्कार के बाद घड़ी और कड़े से जिस युवक के शव की शिनाख्त हुई, वह ऋषिकेश के रेलवे रोड निवासी एक व्यापारी का बेटा बताया गया है। पुलिस की मानें तो बीते चार दिसंबर को बैराज जलाशय से बरामद इसी युवक के शव को परिजन पहचान नहीं पाए थे। ऐसे में पहचान के लिए शव को 72 घंटे के लिए मोर्चरी में रखा गया था। समय अवधि खत्म होने पर शव को अंतिम संस्कार कर दिया गया था। पुलिस के मुताबिक बीते 26 नवंबर को बहात्तर सीढ़ी घाट से व्यापारी दलीप अरोड़ा निवासी मनीराम मार्ग के बेटे गौतम ने गंगा में छलांग लगा दी थी। घटना के बाद घाट पर मौजूद कुछ लोगों ने इसकी सूचना भी दी थी। जांच के दौरान घाट से गंगा में कूदे युवक का मोबाइल और जूते भी मिले थे।
पुलिस और एसडीआरएफ ने उसकी तलाश को अभियान चलाया, लेकिन तीन दिसंबर तक कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी। चार दिसंबर को एसडीआरएफ और पुलिस को बैराज जलाशय में गंगा से सड़ा-गला हुआ एक युवक का शव बरामद हुआ। पहचान के लिए व्यापारी को भी सूचित किया गया, लेकिन परिजन शव की शिनाख्त नहीं कर पाए। एम्स की मोर्चरी में 72 घंटे के लिए रखने के बावजूद शव की पहचान नहीं हुई। सात दिसंबर के बाद पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार करा दिया। पुलिस डीएनए टेस्ट कराने की तैयारी कर रही थी। त्रिवेणीघाट चौकी पुलिस के मुताबिक गुरुवार को व्यापारी दलीप अरोड़ा ऋषिकेश का बेटा ऋषभ पहुंचा और चार दिसंबर को मिले शव का फोटो दिखाने पर उसने हाथ घड़ी और कड़े के आधार पर बैराज जलाशय से बरामद हुए शव की शिनाख्त अपने भाई 21 वर्षीय गौतम के रूप में की। चौकी प्रभारी का कहना है कि पुलिस दाह संस्कार से पहले पोस्टमार्टम के दौरान सुरक्षित रखे गए सैंपल की डीएनए जांच कराने के लिए अदालत से प्रक्रिया के तहत अनुमति लेगी।
घटनाक्रम
– 26 नवंबर को लक्ष्मणझूला थाना क्षेत्र में व्यापारी के बेटे ने गंगा में लगाई थी छलांग
– बैराज जलाशय से बरामद हुआ था शव, पुलिस का दावा उस वक्त परिजन नहीं कर सके थे शिनाख्त
– दाह संस्कार के बाद घड़ी और कड़े से व्यापारी के बेटे ने भाई का शव होने का किया दावा
– शव की सही पहचान के लिए कोर्ट से अनुमति लेकर पुलिस कराएगी डीएनए टेस्ट
पुलिस अब डीएनए टेस्ट की तैयारी में
चार दिसंबर को एसडीआरएफ और पुलिस को बैराज जलाशय में गंगा से सड़ा-गला हुआ शव बरामद हुआ था। पहचान के लिए व्यापारी को भी सूचित कर दिया गया था, लेकिन परिजन शव की शिनाख्त नहीं कर पाए। एम्स की मोर्चरी में 72 घंटे के लिए रखने के बावजूद शव की पहचान नहीं हुई। सात दिसंबर के बाद पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार करा दिया। पुलिस डीएनए टेस्ट कराने की तैयारी कर रही थी।