देश की एक बड़ी समस्या के निवारण के लिये एक और संत ने अपने प्राण निछावर कर दिये, 21 जुलाई को आत्मदाह करने वाले संत विजयदास का आज शनिवार सुबह 2 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल मे निधन हो गया। इस घटना के बाद पूरे देश के संत समाज मे भारी रोष व्याप्त है।
भरतपुर में अवैध खनन को लेकर साधु-संत 550 दिन से विरोध जता रहे थे। 20 जुलाई को बड़ी संख्या में संत आंदोलन के लिए जुटे, इसी दौरान संत विजयदास ने खुद को आग लगा ली थी।
भरतपुर के पसोपा गांव में संत विजय दास ने अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगा ली थी। संत विजयदास का शुक्रवार की रात को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को शनिवार सुबह उनके परिजनों को सौंप दिया गया।
जिले के डीग क्षेत्र में आदिबद्री धाम और कनकाचल में हो रहे अवैध खनन के विरोध में साधु-संत आंदोलन कर रहे थे। 20 जुलाई को बड़ी संख्या में साधु-संत विरोध करने के लिए जुटे। इसी दौरान आंदोलन स्थल पर संत विजयदास (65 साल) ने आत्मदाह कर लिया। पुलिस और अन्य लोगों ने उन्हें फौरन कंबल में लपेट दिया लेकिन तब तक वह 80 फीसदी जल चुके थे। उन्हें आरबीएम अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें पहले जयपुर के एसएमएस अस्पताल, फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
क्या है मामला
भरतपुर के आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र में अवैध खनन के विरोध में पसोपा में साधु-संतों के साथ अन्य ग्रामीण 551 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। 16 जनवरी 2021 से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन संत के आत्मदाह के बाद खत्म हुआ। खनन के विरोध में छह अप्रैल 2021 को साधु-संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जयुपर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी।
11 सितंबर 2021 को मान मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की। गांधी ने प्रतिनिधिमंडल से अवैध खनन को लेकर सरकार की ओर से आवश्यक कदम उठाने की बात कही थी। संतों का कहना था कि उन्होंने 100 से भी अधिक सैकड़ों विधायक और मंत्रियों को 350 से ज्यादा ज्ञापन सौंपे पर सुनवाई नहीं हुई।
मंत्री और कलेक्टर धरनास्थल पर पहुंचे तब खत्म हुआ आंदोलन
संत विजयदास के आत्मदाह के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई। उसके बाद राजस्थान के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि संत जिन खानों को बंद करने की मांग कर रहे हैं, वे लीगल हैं। फिर भी उनकी लीज शिफ्ट करने पर विचार किया जाएगा। उसके बाद कलेक्टर आलोक रंजन और पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह डीग क्षेत्र में स्थित पासोपा धाम पहुंचे थे। उसके बाद मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने सभी साधु संतों से समझाइश की और फिर जाकर पांच सौ पचास दिन से चल रहा धरना समाप्त हुआ।
मुख्यमंत्री ने तुरंत बैठक बुला जारी किए निर्देश
संत के आत्मदाह करने से गहलोत सरकार घिर गई। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खनन, गृह और अन्य विभाग की बैठक ली। भरतपुर कलेक्टर ने सभी संतों को सरकार का आदेश पढ़कर सुनाया, तब जाकर संतों ने धरना स्थल को छोड़ा।
जिला कलेक्टर ने आदेश पढ़कर सुनाया, तब संत माने
कलेक्टर आलोक रंजन ने पढ़कर सुनाया कि सरकार ने निर्देश दिए हैं कि 15 दिन में आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र को सीमांकित कर वन क्षेत्र घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी। सरकार आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र में संचालित वैध खदानों को अन्य स्थान पर पुनर्वासित करने की योजना बनाएगी। इस पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाने को लेकर भी प्रयास शुरु कर दिए गए हैं। कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि यह समस्त कार्य राज्य सरकार दो महीने में पूरे करेगी।