उत्तराखंड: विवादित भर्तियों के मामले में कांग्रेस ने दिल्ली से सरकार को घेरा,भगत सिंह कोश्यारी समेत कई बड़े नामों पर भी साधा निशाना।

उत्तराखंड में विभिन्न विभागों में हुए भर्ती घोटाले के साथ ही विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं ने दिल्ली से बीजेपी सरकार पर हमला बोला। कहा गया कि इन भर्तियों में बड़े नेताओं की भी संलिप्ता है। पूर्व सीएम एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सहित, सीएम धामी, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, आरएसएस नेताओं के नाम लेते हुए कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश सरकार की एजेंसी इस मामले में स्वतंत्र जांच नहीं कर पाएगी। ऐसे में केंद्र सरकार से सभी भर्तियों की सीबीआइ से जांच की मांग की गई। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने सिलसिलेवार भर्तियों को लेकर प्रदेश सरकार पर आरोप मढ़े और युवाओं के साथ खड़े रहने की बात कही। ये प्रेस वार्ता अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दिल्ली स्थित मुख्यालय में की गई।

अपने लोगों को नौकरी बांट रही है सरकार।
इस मौके पर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रभारी देवेन्द्र यादव ने तंज कसते हुए कहा कि मुझे एक कहावत याद आती है कि ‘अंधा बांटे रेवड़ी, अपने-अपने को दे’, ये बात तो आप सबने सुनी ही होगी। इसको भाजपा की उत्तराखंड सरकार चरितार्थ कर रही है। हम सब राहुल गांधी के नेतृत्व में बेरोजगारी और महंगाई की एक निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार हैं। आप सब जानते हैं कि सात सितंबर से इन मुख्य दो मुद्दों के साथ राहुल गांधी पूरे देशभर में एक यात्रा का नेतृत्व करने जा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ मैं देख रहा हूँ कि सत्ता में बैठे कुछ लोग भ्रष्टाचार में लिप्त होकर देश के पढ़े लिखे युवाओं के साथ धोखा कर रहे हैं। जो नौकरियाँ हैं, उनको लगातार अपने लोगों के बीच में बांटने का काम कर रहे हैं।

बड़े मगरमच्छों को बचाने की कोशिश
उन्होंने कहा कि मैं उत्तराखंड के संदर्भ में ये बात कहना चाहता हूँ कि हमारा प्रदेश नेतृत्व करन माहरा के नेतृत्व में मजबूती के साथ भ्रष्टाचार के मुद्दे को बड़ी प्रमुखता के साथ उठाया जा रहा है। साथ ही सरकार की ऐसी करनी को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापरी ने पिछले विधानसभा सत्र में स्टाफ सिलेक्शन कमीशन में हो रही अनियमितताओं के बारे में प्रमुखता से अपनी बात को रखा। उसके परिणामस्वरूप इसकी जांच के लिए वहाँ पर एक कमेटी जरुरी बनाई गई। दुख है इस बात का कि कुछ छोटे मगरमच्छों को पकड़कर, बड़े-बड़े मगरमच्छ इसमें संलिप्त हैं, उनको बचाने की एक नाकाम कोशिश उत्तराखंड की सरकार कर रही है।



युवाओं को मिले उनका हक।
देवेंद्र यादव ने कहा कि उत्तराखंड में चाहे वो विधानसभा में कुछ नियुक्तियाँ हों। चाहे स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड की नियुक्तियों की बात करें। इसमें अप्लाई करने वाले उसके हकदार ऐसे बेरोजगार और पढ़े लिखे युवा साथी आज कहीं न कहीं वो भटक रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड की सरकार के माननीय हैं, वो अपने चहेतों को, अपने रिश्तेदारों को, अपने जानकारों को बिना किसी योग्यता के, बिना किसी साक्षात्कार के, बिना किसी परीक्षा के सीधा नियुक्ति देने का काम कर रहे हैं। उत्तराखंड की कांग्रेस पार्टी लगातार इस बात को मुद्दा बनाकर युवाओं के बीच पहुंचने का काम कर रही है। हम लोग लगातार इस कोशिश में हैं कि जो वहां के युवाओं का हक है, उनको वो हक मिल सके।

फ्री में बंट रही हैं रेवड़ियां।
उन्होंने कहा कि मैं उन युवा साथियों को अपील करना चाहूँगा कि वो इस लड़ाई में मजबूती के साथ सामने आएं। वहीं दूसरी ओर केन्द्र सरकार से ये आग्रह करूँगा कि इस पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ से कराई जाए। क्योंकि ये ऐसा मुद्दा है, जिसमें उत्तराखंड सरकार के सीनियर लीडर्स हैं और ऑर्गेनाइजेशन के जो वहाँ पर सीनियर लीडर्स हैं। उनकी सीधी-सीधी संलिप्ता होने के नाते कोई भी जो रीजनल स्टेट एजेंसीज किसी भी प्रकार से अच्छी तरह से जांच नहीं कर पाएंगी। उनके ऊपर लगातार दबाव बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में जो फ्री रेवड़ियाँ बाँटने की बात है। वो माननीय हमारे प्रधानमंत्री करते हैं। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि रेवड़ियाँ वो नहीं है कि जो गरीब के पेट में अन्न जाता है, उसको फ्री राशन दिया जाता है। या किसान को उसके हक की लड़ाई, उसकी जो उपज है। उसका सही मूल्य मिलना, रेवड़ियाँ नहीं है। रेवड़ियाँ सही मायने में ये है कि जहाँ पर बिना किसी साक्षात्कार के, बिना किसी टेस्ट के सरकार में बैठे लोग अपने निजी फायदे के लिए अपने लोगों को कहीं न कहीं डायरेक्ट नौकरियाँ देकर उनको वो रेवड़ियाँ बांटने का काम कर रहे हैं।

कई भर्तियों में सामने आ रहे हैं घोटाले
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड में इस समय एक ज़लज़ला सा आया हुआ है। विभिन्न विभागों की भर्तियों में घोटाले सामने आ रहे हैं। हमारे उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग में भर्तियों को लेकर घोटाले उजागर किए थे। इस पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सचिवालय का घेराव किया और एसटीएफ की जांच बैठी। इसमें अभी तक लगभग 28 लोग गिरफ्तार हुए हैं और एक बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत बीजेपी नेता एवं जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह को एक बड़ी मछली के रूप में दिखाया जा रहा है। जो अपने आप में जनता की आँखों में धूल झोंकने की एक कार्रवाई के रूप में देखता हूँ


हाकम सिंह छोटी मछली
उन्होंने कहा कि हाकम सिंह एक खानसामा था। जो एक आईएएस अधिकारी के यहाँ खाना बनाने का काम करता था। आज से कुछ वर्ष पूर्व अचानक वह इतना बड़ा हो गया कि अकूत संपत्ति का मालिक है। वह जिला पंचायत का सदस्य भी है। वह एक बहुत छोटी मछली है, जो बड़े मगरमच्छों के सिखाने पर सारा काम करता है। ऐसा कांग्रेस का मानना है। इसके बहुत सारे कारण हैं।



पहले भी दबाई गई जांच
उन्होंने कहा कि 2016 की जो उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की भर्तियों में घोटाले की बात आई थी। इस विषय को जब मैंने 2017-18 में विधानसभा में उठाया, तो उस समय के तत्कालीन जो अध्य़क्ष थे, आरबीएस रावत, उनको दो सदस्यों ने इस्तीफा इस बात को लेकर दिया कि अध्यक्ष जी की मिलीभगत से धांधलियाँ हो रही हैं। नौकरियों में और तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत (दिवंगत) ने विधानसभा की कार्रवाई में ये माना कि इन कॉपियों में टैम्परिंग हुई है और कॉपियाँ ट्रेजरी में सम्भाल कर रखी हुई हैं। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, लेकिन तत्कालीन भाजपा की सरकार ने पूरी जांच को दबा दिया। वहीं से हाकम सिंह का उदय हुआ।

पहले भी दबाई गई जांच । उन्होंने कहा कि विधानसभा में बहुत बड़े पैमाने पर भर्तियों में घोटाला हुआ है। इसके लिए मैंने जब राज्यपाल जी से हमारी मुलाकात की तो कांग्रेस की तरफ से मांग की थी कि जिस दिन से उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ है, उस दिन से जितनी नियुक्तियाँ विधानसभा में हुई हैं, उन सबकी जांच होनी चाहिए। वर्तमान में भर्तियों में जो घोटाला हुआ है, उसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री के नजदीकी पीआरओज़ की पत्नियां, विधानसभा की अध्यक्ष के नजदीकी, उनके ओएसडी के दो-दो साड़ू भाईयों की पत्नियों की नौकरी लगना, पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सगी भतीजी की नौकरी लगना, आरएसएस के प्रांतीय प्रचारक युद्धवीर सिंह के भाई, भतीजी की और उनके ड्राईवर की नौकरी लगाई गई। उन्होंने कहा कि शायद ही कोई मंत्री ऐसा बचा है, जिसके ओएसडी या पीआरओ के परिवारीजनों की, किसी की नौकरी न लगी हो। तो ये इतना बड़ा मामला इस विधानसभा में चल रहा है।



अस्थायी नौकरी में कैसे दे दिए मकान।
उन्होंने कहा कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की उस बात को सुनकर हैरानी होती है कि उन्होंने कहा कि हां, हमने नौकरी लगाई। आवश्यकता के अनुसार लगाई है, जो निराधार है। उन्होंने कहा कि जब विधानसभा की कार्यवाही चल रही होती है, केवल उतने समय के लिए आप किसी को टेम्परेरी अपॉइंट कर सकते हैं। ये टेम्परेरी अपॉइंटमेंट नहीं है। टेम्परेरी अपॉइंटमेंट का नियम है कि जो संविदा पर लगेगा, उसको केवल बेसिक पे और डीए-टीए मिलता है, लेकिन इसमें पूरी सैलरी दी जा रही है। साथ में टाइप-2 और टाइप-3 के मकान भी इनको आवंटित हो गए हैं, जो अपने आप में साबित होता है कि नीयत कहां है।



राहुल गांधी का धन्यवाद।
उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी का धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने पूरे मामले का संज्ञान लिया और हम लोगों को दूरभाष से भी ये बात कही कि ये बहुत बड़ा घोटाला है। साथ ही हम लोगों से कहा कि हम लोग पूरी ताकत से लड़ें और पूरी कांग्रेस पार्टी साथ है। उनके पूरे संज्ञान लेने से हमको हिम्मत मिली है। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के तहत इस विषय के साथ ही बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा लिया है, हम उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं।



परीक्षाएं कराने पर भी सवाल।
उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के भर्ती घोटाले को लेकर 15 जून को विधानसभा में हमने तथ्यों के साथ, सबूतों के साथ ये प्रस्तुत किया कि UKSSSC लगातार भर्तियों में अनियमितताएं बरत रहा है। घोटाला कर रहा है। इसके खिलाफ सीबीआइ की जांच होनी चाहिए। UKSSSC 80 हजार फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती परीक्षा करवाता है। 18 पालियों में इसे करवाता है। 18 पालियों में किसी भर्ती परीक्षा को कराना सीधे-सीधे कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का संदेह पैदा करता है। वहीं लोकसेवा आयोग उत्तराखंड में 256000 अभ्यर्थियों की परीक्षा एक दिन में कराता है। इसमें हम व्यवस्था का भी प्रश्न नहीं उठा सकते। उसके बाद 1,800 प्रश्नों में से 332 प्रश्नों को डिलीट कर देता है। तो बहुत सारा भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा था।



सीबीआइ जांच की मांग।
उन्होंने कहा कि हमने सीबीआई जांच की मांग को लेकर सचिवालय का घेराव किया। उसके बाद उत्तराखंड में जांच शुरू हुई। जांच शुरू होने के बाद एसटीएफ ने जांच शुरु की, उसमें जैसे-जैसे जांच होती रही, अभी तक 28 गिरफ्तारियों हो चुकी हैं। उन गिरफ्तारियों में जिसे एसटीएफ मुख्य अभियुक्त अभी एसटीएफ बता रहा है, उसके साथ कई बड़े अधिकारियों, कर्मचारियों, कई बड़े सफेदपोश लोगों का नाम जुड़ रहा है। साथ ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश दो राज्यों की संलिप्तता इसमें दिखाई दे रही है। गिरफ्तारी भी हुई है। दो राज्यों की संलिप्तता होना और प्रदेश के बड़े-बड़े हुक्मरानों का, सफेदपोशों का, प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता जो स्पष्ट दिखाई दे रही है। उससे ये पता चलता है कि एसटीएफ के अधिकार सीमित हैं, राज्यों के लिए हैं और एसटीएफ के ऊपर जो अधिकारी बैठे हुए हैं, जो नेता बैठे हुए हैं, उनकी संलिप्तता दिख रही है। इसलिए इस जांच का अब सीबीआइ को देना करना अनिवार्य है।

अलग अलग राज्यों में दो तरह के रुख क्यों।
उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र, एक विधान, एक संविधान का नारा देने वाली पार्टी भ्रष्टाचार के मामले में दो रुख अपना रही है। एक तरफ पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला होता है, वहाँ भाजपा की सरकार नहीं है। वहां सीबीआइ जांच होती है। वो तो एक ही राज्य का मामला है। यहाँ दो राज्यों का मामला स्पष्ट दिखाई दे रहा है और सारी भर्तियों में घोटाला दिखाई दे रहा है। चाहे वो फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती हो, चाहे वो लेक्चरार की भर्ती हो, चाहे वो कलर्क की भर्ती हो, चाहे वो ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती हो, चाहे वो वीपीडीओ की भर्ती हो। 28 लोगों की गिरफ्तारी हो जाती है। सरकार सीबीआइ को केस देने से कतरा रही है।

मंत्रियों के चहेतों को पहुंचाया लाभ।
उन्होंने कहा कि साथ ही इस भर्ती की आग जब प्रदेश में लगती है, तो विधानसभा भर्ती घोटाला भी सामने आता है। इसमें मुख्यमंत्री के रिश्तेदार और ओएसडी, उनके साले को बैकडोर से लगाया जाता है। दूसरे पीआरओ की बीवी को लगाया जाता है। तीसरे पीआरओ की बीवी को भी लगाया जाता है। महाराष्ट्र के राज्यपाल की भतीजी को लगाया जाता है। बहुत सारे मंत्रियों के ओएसडी की पत्नियों को लगाया जाता है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मीनाक्षी शर्मा, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पीआरओ आलोक शर्मा की बीवी प्रांजल नेगी सहित ऐसे कई सारे नाम सामने आ रहे हैं।

राज्य की जांच एजेंसी पर उठेंगे सवाल।
उन्होंने कहा कि एक तरफ UKSSSC का घोटाला जहाँ सामने आ रहा था, वहाँ विधानसभा में सारे प्रदेश की सरकार भाजपा के मुख्यमंत्री से लेकर सारे मंत्री, नवरत्नों की विधानसभा घोटाले में कहीं न कहीं संलिप्तता दिखाई दे रही है। उसके बाद हम कैसे भरोसा कर सकते हैं कि राज्य की एजेंसी इसमें जांच करके इन हुक्मरानों को जेल भेजने का काम करेगी। इन सारे तथ्यों को देखते हुए हम केन्द्र सरकार से, प्रधानमंत्री जी से ये मांग करते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड को कलंकित करने का जो काम भाजपा की बैठी हुई सरकार ने किया है, उस देवभूमि को न्याय दिलाने के लिए अब इस जांच को सीबीआई को दिया जाना चाहिए। जिससे की उत्तराखंड के साथ न्याय हो सके।

Himfla
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