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अल्मोड़ा: सोनू सिजवाली
अल्मोड़ा। उत्तरकाशी के द्रौपदी के डांडा में स्नो एवलांच हादसे का शिकार हुए अल्मोड़ा के पर्वतारोही अजय बिष्ट का शव आज अल्मोड़ा पहुँचा। जिसके बाद मृतक अजय बिष्ट का आज नम आखों के साथ विश्वनाथ घाट में अंत्येष्टि की गई। चिता को मृतक के भाई और चाचा ने मुखाग्नि दी। मृतक अजय बिष्ट का अभी 5 माह पूर्व ही विवाह हुआ था। मृतक की पत्नी समेत उसके घरवालों का रो रोकर बुरा हाल है।
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पर्वतारोही अजय बिष्ट (32) पुत्र डीएस बिष्ट निवासी अल्मोड़ा भी अपने साथियों के साथ उत्तरकाशी गए हुए थे। शुरू से ही पर्वतारोहण के शौकीन अजय अपने पर्वतारोहण कोर्स के लिए दल के साथ गए थे। लेकिन अचानक आये द्रौपदी के डांडा में स्नो एवलांच हादसे का वह भी अपने साथियों के साथ शिकार हो गए। पर्वतारोही अजय बिष्ट का चार दिन बाद शव बरामद हुआ, हालांकि इनका शव पहले ही बरामद हो गया था मगर शिनाख्त उत्तरकाशी पहुँच कर हो पाई।
पर्वतारोही अजय का नम आँखों के साथ हुआ अंतिम संस्कार अल्मोड़ा। उत्तरकाशी के द्रौपदी के डांडा में स्नो एवलांच हादसे का शिकार हुए अल्मोड़ा के पर्वतारोही अजय बिष्ट का शव आज अल्मोड़ा पहुँचा। जिसके बाद मृतक अजय बिष्ट का आज नम आखों के साथ विश्वनाथ घाट में अंत्येष्टि की गई। चिता को मृतक के भाई और चाचा ने मुखाग्नि दी। इस दौरान विधायक मनोज तिवारी समेत नगर के विभिन्न राजनैतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए लोग मौजूद रहे। मृतक अजय बिष्ट का अभी 5 माह पूर्व ही विवाह हुआ था। मृतक की पत्नी समेत उसके घरवालों का रो रोकर बुरा हाल है। पर्वतारोही अजय बिष्ट (32) पुत्र डीएस बिष्ट निवासी अल्मोड़ा भी अपने साथियों के साथ उत्तरकाशी गए हुए थे। शुरू से ही पर्वतारोहण के शौकीन अजय अपने पर्वतारोहण कोर्स के लिए दल के साथ गए थे। लेकिन अचानक आये द्रौपदी के डांडा में स्नो एवलांच हादसे का वह भी अपने साथियों के साथ शिकार हो गए। पर्वतारोही अजय बिष्ट का चार दिन बाद शव बरामद हुआ। बतादें कि नगर के गोपालधारा निवासी धीरेंद्र सिंह बिष्ट और जानकी बिष्ट के तीन बच्चों में अजय बिष्ट सबसे बड़े हैं। अजय ने कूर्मांचल एकेडमी से विज्ञान वर्ग से 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद देहरादून से बीटैक की पढ़ाई पूरी की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बावजूद उन्हें पर्वतारोहण का जबरदस्त शौक था। पिछले तीन चार सालों से वह पर्वतारोहण से जुड़े थे। उन्होंने असाम से भी पर्वतारोहण का कोर्स किया था।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) से एडवेंचर में एडवांस कोर्स करने के लिए संस्थान में दाखिला लिया था। उनका कोर्स पूरा होने वाला था। इसके बाद उनकी कोच बनकर पर्वतारोहियों को पर्वतारोहण कराने की तमन्ना थी लेकिन ये हसरत पूरी न हो सकी। इसके अलावा अजय बिष्ट शीतलाखेत में रिजॉर्ट बना रहे थे। वह पर्वतारोहण के साथ ही क्षेत्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा देना चाहते थे। वही पर्वतारोही अजय की शादी पांच माह पहले ही हुई थी। अजय खुशहाल जिंदगी जी रहे थे लेकिन द्रौपदी का डांडा में हिमस्खलन हादसे में उनका सब कुछ बिखर गया। अजय की मौत की खबर से पत्नी का भी रो-रोकर बुरा हाल है। बता दें कि नगर के गोपालधारा निवासी धीरेंद्र सिंह बिष्ट और जानकी बिष्ट के तीन बच्चों में अजय बिष्ट सबसे बड़े हैं। अजय ने कूर्मांचल एकेडमी से विज्ञान वर्ग से 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद देहरादून से बीटैक की पढ़ाई पूरी की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बावजूद उन्हें पर्वतारोहण का जबरदस्त शौक था। पिछले तीन चार सालों से वह पर्वतारोहण से जुड़े थे। उन्होंने असाम से भी पर्वतारोहण का कोर्स किया था। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) से एडवेंचर में एडवांस कोर्स करने के लिए संस्थान में दाखिला लिया था। उनका कोर्स पूरा होने वाला था। इसके बाद उनकी कोच बनकर पर्वतारोहियों को पर्वतारोहण कराने की तमन्ना थी लेकिन ये हसरत पूरी न हो सकी। इसके अलावा अजय बिष्ट शीतलाखेत में रिजॉर्ट बना रहे थे।
वह पर्वतारोहण के साथ ही क्षेत्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा देना चाहते थे।
वही पर्वतारोही अजय की शादी पांच माह पहले ही हुई थी। अजय खुशहाल जिंदगी जी रहे थे लेकिन द्रौपदी का डांडा में हिमस्खलन हादसे में उनका सब कुछ बिखर गया। अजय की मौत की खबर से पत्नी का भी रो-रोकर बुरा हाल है।
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