केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंटार्कटिक में वैज्ञानिक शोध और लॉजिस्टिक के प्रयासों की दिशा में मजबूत वैश्विक सहयोग के निर्माण का आह्वान किया, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए अंटार्कटिक के प्राचीन स्वरूप को बचाए रखा जा सके।

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ब्यूरो/रिपोर्ट।


केंद्रीय विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान; कार्मिक, लोक शिकायत एवम् पेंशन विभाग; परमाणु ऊर्जा एवम् अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज अंटार्कटिक में वैज्ञानिक शोध और लॉजिस्टिक्स संबंधी प्रयासों पर मजबूत वैश्विक सहयोग बनाने की अपील की, क्योंकि अंटार्कटिक महाद्वीप सबसे बड़ा रेफ्रिजरेटर है, जिसे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्राचीन स्थिति में बरकरार रखने की जरूरत है।

10वीं “साइंटिफिक कम्यूनिटी ऑन अंटार्कटिक रिसर्च (एससीएआऱ) ओपन साइंस कॉन्फ्रेंस” को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसा करना बेहद जरूरी है, क्योंकि मानव जनित बदलावों के दौर में आज दुनिया के सामने अभूतपूर्व मौसम परिवर्तन की चुनौती खड़ी है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव मौसम बदलने के तरीकों में दिखाई देगा, जिससे ना केवल वैश्विक मौसम, बल्कि अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य भी प्रभावित होंगे। मंत्री ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि वैज्ञानिक समुदाय अंटार्कटिक की विरासत और वैज्ञानिक वृत्ति पर एकमत होकर काम करे और बोले।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंटार्कटिक संधि तंत्र, पर्यावरण संरक्षण के लिए समिति (सीईपी) और अंटार्कटिक समुद्री जीव संपदा संरक्षण अभिसमय (सीसीएएमएलआर) और एससीएआर का सक्रिय सदस्य होने के नाते भारत, अंटार्कटिक महाद्वीप और इसके आसपास के समुद्र को वैज्ञानिक अध्ययनों और कार्रवाईयों से संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अंटार्कटिक के पर्यावरण को संरक्षित करने एवम् वेडल सागर व पूर्वी अंटार्कटिक को समुद्री संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के यूरोपीय संघ के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित भी किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत बीते चार दशकों से अंटार्कटिक में है और पूर्वी अंटार्कटिक में हमारे दो शोध केंद्र भी हैं, जिनमें एक शिर्माचर ओसिस (मैत्री) और दूसरा लार्समैन हिल्स (भारती) पर है। 2022 में भारती केंद्र में शोध करने के भारत के दस साल भी पूरे हो चुके हैं। मंत्री ने कहा कि भारत, कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए नवीकरणीय विकल्पों की तरफ भी काम कर रहा है और दुनिया के सबसे बड़े सौर पार्क (राजस्थान में 2245 मेगावाट के भदला सौर पार्क) की स्थापना कर देश में हरित ऊर्जा कार्यक्रमों की शुरुआत भी कर चुका है।



डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 10वीं एससीएआर ओपन साइंस कॉन्फ्रेंस को आयोजित करना भारत के लिए गर्व की बात है, आखिर भारत की आजादी के 75वें वर्ष में यह मौका मिला है, जिसे भारत आजादी के अमृत महोत्सव के तौर पर मना रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने इस बार इस कार्यक्रम को सशरीर उपस्थिति के साथ कराने का बेहतरीन मौका गंवा दिया, लेकिन मंत्री ने उम्मीद जताई कि एससीआर कॉन्फ्रेंस जल्द ही इन लोगों को भारत के साथ संबंध बनाने के लिए देश में आने का मौका देगी, एक ऐसा देश जिसका मजबूत वैज्ञानिक इतिहास रहा है और सांस्कृतिक तौर पर हमारे पास कुछ सबसे पुरानी बसाहट वाले शहर भी मौजूद हैं।

अपनी अंतिम टिप्पणी में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि परिचर्चा, संगोष्ठी और सम्मेलन आयोजित कर वैज्ञानिक समुदाय अंटार्कटिक विज्ञान के अलग-अलग आयामों में खुद को बेहतर कर पाएगा, इस दौरान मानविकी और मानवीय प्रभाव, पर्यावरण और संरक्षण पर भी एक सत्र है। मंत्री ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब वायुमंडलीय और समुद्री सवालों के जवाब देने के लिए हम कैसे एक साथ काम कर सकते हैं, इस पर चर्चा की जाए।

Himfla
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