स्कूल अटल उत्कृष्ट बच्चों के पास पढ़ने को किताबें नहीं, प्रधानाध्यापक ने दी सफाई।

हल्दूचौड़ से आशीष नियोलिया की रिपोर्ट।

अटल उत्कृष्ट स्कूल और प्रधानाचार्य कहते हैं कि कब तक सरकार मुफ्त किताबें बांटते रहेगी, और कब तक हम आपको किताबें लाकर देते रहेंगे। इससे बेहतर है कि आप प्राइवेट दुकान से ही अपने खर्चे पर किताबें ले लीजिए।
यह वाकया है नैनीताल जिले के अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कालेज हल्दूचौड़ का। जहां सुबह की प्रार्थना सभा के बाद प्रधानाचार्य महोदय बच्चों को पढ़ाई के टिप्स दे रहे थे। महोदय लाउडस्पीकर में बता रहे थे कि कैसे परीक्षा के लिए तैयार रहना है और कैसे नोट्स तैयार करने हैं, इसी बीच अपनी बात खत्म करते करते प्रधानाचार्य महोदय ने समझाया कि जिन बच्चों के पास किताबे नहीं हैं वह अब सरकारी मुफ्त किताबों के भरोसे ना बैठे रहें। उन्होंने कहा कि ‘‘ कब तक सरकार किताबें बांटती रहेगी और कब तक हम आपको किताबें लाकर देते रहेंगे। संयोग से मैं उस वक्त स्कूल के समीप मौजूद था और महोदय की यह बात सुन रहा था। महोदय ने बार -बार बच्चों को प्राइवेट स्टोर से किताबें खरीदने की नसीहत भी दे डाली। आश्चर्य है कि एक ओर सरकार बच्चों को मुफ्त किताबें और मुफ्त शिक्षा के बड़े-बड़े दावे कर रही है। वहीं बच्चों को किताबे उपलब्घ कराने की अपेक्षा प्रधानाचार्य बच्चों से अपने खर्चे पर प्राइवेट दुकानों से ही किताबें खरीदने की नसीहत दे रहे हैं। इस विषय में स्कूल प्रधानाचार्य से बात करने पर उन्होनेे बताया कि लम्बे समय से किताबों के लिए डिमाण्ड भेजी जा रही है लेकिन किताबें उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। सलेबस पूरा होने को है लेकिन कई विद्यार्थियों के पास पढ़ने को किताबे नहीं हैं। इससे बच्चों के भविष्य पर प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए बच्चों से प्राइवेट दुकानों से ही किताब खरीदने के लिए कहा है।
उत्तराखण्ड में जहां एक ओर सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए नये-नये प्रयास किये जा रहे हैं वहीं आधा सत्र बीत जाने के बावजूद विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिल पाना सरकार और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। यदि शहरी क्षेत्र में स्थित अटल उत्कृष्ट विद्यालय का यह हाल है तो राज्य में अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूूलों की क्या स्थिति होगी। वहीं सवाल यह भी खड़ा होता है कि सरकारी तन्त्र की लापरवाही का खामियाजा विद्यार्थी क्यों भुगतें। वर्तमान समय में सरकारी स्कूलों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। सरकारी स्कूलों में अधिकतर वही विद्यार्थी दाखिला लेते हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। ऐसे में उन विद्यार्थियों को सरकारी सुविधाओं को लाभ भी नहीं मिल सका तो यह योजनाऐं केवल उपलब्धियां गिनाने भर के लिए ही हैं।

सलेबस पूरा होने को है लेकिन कई बच्चों के पास किताबें नहीं हैं, कई बार किताबों के लिए डिमाण्ड भेज दी गयी है। वर्तमान में प्रवेश अधिक होने के कारण किताबों की सॉर्टेज हो गयी है। केवल फस्ट ईयर के बच्चों की किताबों की प्राब्लम हुई है। बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए उनको बाजार से किताब लेने के लिए कहा है।
-गणपत सिंह सेंगर प्रधानाचार्य

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