विशेष रिपोर्ट: उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं की छाती पर मूंग दलते, सफेदपोशों के काले कबूलनामें।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती में हुई धांधली के बाद राज्य भर के लाखों बेरोजगार युवाओं को झटका लगा है। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा में बैकडोर से बंटी रोजगार की खीर ने राज्य की बेरोजगारी के घावों में नमक का काम किया है।

शोशल मीडिया पर वायरल सूची।


UKSSSC भर्ती धांधली में जिस प्रकार सत्ताधारियों की अनौपचारिक रूप से संलिप्तता पाई गई उसी बाद अचानक से विधानसभा बैकडोर भर्ती मामलों ने भी इस आग में घी डालने का काम किया है।
जितनी किरकिरी सफेदपोशों की यहां शोशल मीडिया में वायरल हो रही सूची से हुई है दूसरी उस सूची को देख राज्य के लाखों बेरोजगार भी दांतों तले उंगली दबाते हुए अपने भाग्य को कोसते हुए दिखाई पड़े। विधानसभा बैकडोर मामले में जिस प्रकार परतें खुली हैं उसके अनुसार केवल विधानसभा अध्यक्षों ने ही नहीं बल्कि बड़े बड़े नामी सफेदपोशों ने भी पिछले दरवाजे से वितरित हुई खीर का भरपूर आनंद लिया है, फिर चाहे वो पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी हों या फिर संघ प्रचारक के रूप में भाजपा द्वारा भेजे गए संगठन मंत्री अजेय कुमार हों। यहां तक कि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस खीर को नकार नहीं पाये हैं उन्होंने भी लाखों बेरोजगारों वाले राज्य की सत्ता में आसीन होकर इस खीर का स्वाद लिया है।

शोशल मीडिया में वायरल सूची।

मामला खुलने के बाद सफेदपोशों के काले कबूलनामें । और इस बीच जब मामलों से पर्दा उठा तो सफेदपोशों की इन करतूतों का पुलिंदा जनता के सामने आ गया और मीडिया द्वारा जिम्मेदारों से सवाल किए गए तो जवाब चौंकाने वाले थे चाहे कांग्रेस राज के विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल हों चाहे भाजपा राज के प्रेमचंद्र अग्रवाल या फिर वायरल सूची में अंकित नामों के कोई भी संबंधित मंत्री सबका जवाब हेकड़ी से भरा हुआ मिलता जुलता ही था कि “हां हमने किया है हमें आवश्यकता थी गलत क्या किया है नौकरी तो दी है” इस प्रकार के कबूलनामें ने राज्य के लाखों युवाओं की बेरोजगारी वाली आग में घी डालने का काम तो किया ही वहीं अपनी भी जमकर किरकिरी करवाई ‌।

शोशल मीडिया पर वायरल सूची।

राज्य में बेरोजगारी दर । हाल के मीडिया रिपोर्ट खंगाले जाएं तो उत्तराखंड में अचानक बेरोजगार दर बढ़ी है। यह 2.9 फीसदी से बढ़कर 8.7 हो गई है, जो राष्ट्रीय स्तर की बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी से भी अधिक है। मई की अपेक्षा जून में 5.8 फीसदी बेरोजगारी दर बढ़ी है। अक्तूबर 2020 के बाद पहली बार राज्य में इतनी बेरोजगारी दर बढ़ी है।

यहां से खुले प्रकरण।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की पिछले साल हुई स्नातक स्तर की परीक्षा में स्नातक स्तर की परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले छह युवकों को हाल ही में उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार किया। ये गिरफ्तारी अलग-अलग जगहों से की गई है। इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। इस मामले में बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में हुई थी। इसमें अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर युवाओं ने कार्रवाई की मांग की थी। इस मामले में अब तक कुल 30 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसके बाद अब हर दिन किसी ना किसी विभाग में भर्ती घोटाला उजागर हो रहा है।

राज्य के बेरोजगार युवाओं में आक्रोश है। राज्य में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन की भर्ती में हुई धांधली के बाद जब बड़े सफेदपोशों के संरक्षित माफियाओं का नाम उजागर होने लगा था तब राज्य के बेरोजगार मेहनती युवाओं में उनकी मेहनत पर पानी फिरने का बैठा हुआ था मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लगातार निष्पक्ष जांच के आश्वासन ने युवाओं को एक उम्मीद दी थी लेकिन ज्यों ज्यों जांच पड़ताल आगे बढ़ी और उसके बाद अनेकों मामलों में घपले सामने आने से अब युवाओं में आक्रोश है राज्य भर के जिला मुख्यालयों तहसीलों में प्रदर्शन की खबरें इन दिनों आने लगी है यहां तक अल्मोड़ा के हताश निराश युवाओं ने बीते दिन देव दरबार का भी रूख किया और अपनी व्यथा की अर्जी चितई गोलज्यू मंदिर में में लगाई।

उपरोक्त सभी कारनामों में संलिप्तता के बावजूद भी जिस आत्मविश्वास से जिम्मेदार सफेदपोशों ने अपना कबूलनामा पेश किया है उससे स्पष्ट है कि उत्तराखंड राज्य में जब भी जिस दल ने राज किया उसने अपने लोकतांत्रिक राजधर्म को दरकिनार करते हुए चाचा,पापा ताऊ के रिश्ते को बखूबी निभाया।कुल मिलाकर जिस राज्य की मांग यहां के निवासियों को उनकी प्राथमिक जरूरतों को प्राथमिकता से पूरा करने के मकसद से बड़े आंदोलन के रूप में हुई थी जिसमें बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत तक दी उस राज्य में आये दिन राज्य आंदोलनकारियों की शहादत पर आसीन सत्तासीन सफेदपोशों के काले कारनामे न केवल यहां की भोली भाली जनता के साथ छल कर रहे हैं बल्कि जिस उत्तराखंड राज्य की कल्पना राज्य आंदोलनकारियों ने की थी उन कल्पनाओं को भी नेस्तनाबूद कर आपनी लाठी अपनी भैंस के हिसाब से राज्य पर भ्रष्टाचार के प्रहार कर रहे हैं और इन प्रहारों के जख्म दिन प्रतिदिन इतने गहराते जा रहें हैं कि आने वाले समय में इन ज़ख्मों को भर पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हो जायेगा। और समय रहते राज्य के दीपकों का सफाया नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ी आंदोलन प्रदर्शनों के प्रति भी यह कहते हुए उदासीन नजर आयेगी कि हमसे पहले वालों ने जी जान से प्रदर्शन किया क्या मिला।

Himfla
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