‘स्वतंत्रता की गाथा – ज्ञात और कम ज्ञात संघर्ष’ प्रदर्शनी को जनता के देखने के लिए 30 अक्टूबर तक बढ़ाया गया

भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा आयोजित प्रदर्शनी ‘स्वतंत्रता की गाथा: ज्ञात और कम ज्ञात संघर्ष’ 30 अक्टूबर, 2022 तक बढ़ा दी गई है। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने 12 अगस्त को किया था। पहले इसे 30 सितंबर 2022 तक जनता के देखने के लिए खुला रखा गया था। अब इसे 30 अक्टूबर, 2022 तक देखा जा सकता है।

 इस प्रदर्शनी में जनता की अत्यधिक रुचि देखी गई और इसी वजह से इसे देखने की तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया गया। प्रदर्शनी 30 अक्टूबर तक शनिवार, रविवार और छुट्टियों सहित सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक जनता के देखने के लिए खुली रहेगी।

यह प्रदर्शनी भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखे गए मूल सरकारी दस्तावेजों, मानचित्र अभिलेखों, समाचार पत्रों, निजी कागजात, समकालीन तस्वीरों और प्रतिबंधित साहित्य पर आधारित है।

यह प्रदर्शनी देश के विभिन्न हिस्सों में कई क्रांतिकारी आंदोलनों और संघर्षों की एक झलक प्रदान करती है, जिनमें जंगल महल का विद्रोह या चुआर विद्रोह (1771- 1809) (पश्चिम बंगाल); संबलपुर विद्रोह, ओडिशा (1827-62); महान विद्रोह (1857); कूका नामधारी आंदोलन, पंजाब (1871); प्लेग कमिश्नर की हत्या, पुणे (चापेकर ब्रदर्स 1897); मुंडा विद्रोह, रांची (1894); अनुशीलन समिति (1902), अलीपुर बम षडयंत्र केस (1908), हावड़ा गैंग केस (1910), दिल्ली-लाहौर षडयंत्र केस (1912), ग़दर पार्टी 1913, चंपारण सत्याग्रह (1917), असहयोग आंदोलन (1920), चौरी चौरा (1922), रम्पा विद्रोह, विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश (1922-24); द हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) 1923, काकोरी षडयंत्र केस (1925), नव जवान सभा (1926-31), कीर्ति किसान आंदोलन, 1927, चटगांव शस्त्रागार छापे (1930), सविनय अवज्ञा आंदोलन / दांडी मार्च (1930), केंद्रीय असेंबली बम केस (1929) और लाहौर षडयंत्र केस (1931), हरेका आंदोलन (रानी गाइडिनलियू 1930), द इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (1920 से 1940 के दशक), भारत छोड़ो आंदोलन, (1942) और रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह 1946 आदि शामिल हैं।

 भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास वर्तमान में इसके भंडारों में 18 करोड़ से अधिक पृष्ठों के सार्वजनिक अभिलेखों का संग्रह है। इसमें फाइलें, खंड, मानचित्र, भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत बिल, संधियां, दुर्लभ पांडुलिपियां प्राच्य (पूरबी देशों से संबंधित) अभिलेख, निजी कागजात, मानचित्र अभिलेख, राजपत्र और विवरणिका (गजेटियर) का महत्वपूर्ण संग्रह, जनगणना रिकॉर्ड, विधानसभा और संसद की बहस, प्रतिबंधित साहित्य, यात्रा विवरण आदि शामिल हैं। प्राच्य (पूरबी देशों से संबंधित) अभिलेखों का एक बड़ा हिस्सा फारसी, संस्कृत, पाली, प्राकृत, उड़िया आदि में है।

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Pahadi Bhula

Author has been into the media industry since 2012 and has been a supporter of free speech, in the world of digitization its really hard to find out fake news among the truth and we aim to bring the truth to the world.