रूस ने करीब पचास वर्षों में अपना पहला चंद्र मिशन लूना-25 (#Luna25) अंतरिक्ष में भेजा है। सोयुज-2 प्वाइंट वन बी रॉकेट से प्रक्षेपित किए गए लूना-25 ने रूस के सुदूर पूर्व में वोस्तोचन लॉन्च स्टेशन से उड़ान भरी।
यह अभियान 1976 के बाद रूस का पहला मिशन है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो ने रूसी अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ROSCOSMOS को बधाई दी है। रूस का लूना- 25 भारत के चंद्रयान से पहले चंद्रमा पर उतरेगा, यह रॉकेट प्रक्षेपण के 80 घंटे के बाद चंद्रमा की प्रक्रिमा में पहुंच जाएगा। भारत के चंद्रयान को जहा 45 का समय लगने वाला है चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में उतरने में वही रूस के लूना-25 को मात्र 11 दिन लगेंगे चंद्रमा में उतरने में।
लूना-25 एक धरती वर्ष तक कार्य करेगा, जिस दौरान वह वहा की मिट्टी के नमूने लेने के साथ पर्यावरण के आंकड़ों पर शोध करेगा।
रिपोर्ट में रूसी मीडिया के हवाले से बताया गया कि 11 अगस्त को सुबह लूना-25 को लॉन्च किया गया।
लगभग 50 साल बाद रूस ने पहली बार अपना चांद मिशन भेजा है। मॉस्को से इसकी लॉन्चिंग की गई है।
रूस के इस चांद मिशन की खास बात यह है कि यह जुलाई में भेजे गए भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 से पहले चांद की सतह पर कदम रखेगा।
21 अगस्त को चांद की सतह पर उतर सकता है लूना-25
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस का कहना है कि लूना-25 चांद के सफर पर निकल गया है और 5 दिनों तक यह चांद की तरफ बढ़ेगा।
समाचार एजेंसी AFP ने बताया कि रोस्कोस्मोस को उम्मीद है कि मिशन 21 अगस्त के आसपास चांद की सतह पर उतरेगा।
रूस की योजना है कि वह अपने मिशन के लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा।
लूना-25 में भी भारत के चंद्रयान-3 की तरह रोवर और लैंडर हैं।