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विगत दिनों से नैनीताल पुलिस एक अपराधी को बचाने की कोशिश में लगी हुई थी जिसकी पुष्ठि इस बात से हो गयी जब गंभीर धाराओं पर मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पुलिस द्वारा जिलाबदर की कार्यवाही किये हिस्ट्रीशीटर को ढूढ नही पाई ना ही मुकदमे की कार्यवाही आगे बढ़ी, आलम यह है कि पुलिस के आला अधिकारी यह कहते हुए परहेज नही कर रहे कि हमारे द्वारा मुजरिम को जिलाबदर कर दिया गया है और हमे नही पता कि वो कहा है।
मनु गोस्वामी उर्फ मनोज गोस्वामी नामक युवक ने अवैध खनन पर जब अपनी आवाज उठाई तो खनन माफिया सब कीच छोड़ उसके पीछे लग गये यहाँ तक उसपर शहर के बीचोबीच हमला भी कर दिया। पुलिस का कहना है कि जिस जगह पर हमला हुआ वहाँ सीसीटीवी कैमरे नही लगे थे जिस कारण वो इस घटना की पुष्ठि नही कर सकती।
क्या था मामला
मनोज गोस्वामी अवैध खनन को रोकने के लिए जब प्रशासन से शिकायत करता है तो अवैध खनन में लिप्त कांग्रेसी नेता हृदयेश कुमार शिकायत वापस लेने के लिए मनोज गोस्वामी और उसके पूरे खानदान को मार डालने की धमकी देता है और साथ ही उसकी माँ बहन के साथ रेप करने की धमकी भी देता है जिसका प्रमाण सोशल मीडिया में मौजूद है । जब मनोज गोस्वामी काठगोदाम थाने में शिकायत लेकर जाता है तो काठगोदाम पुलिस हृदयेश कुमार के खिलाफ 504 और 506 के तहत मुकदमा पंजीकृत करती है लेकिन आज तक उसकी चार्जशीट कौर्ट तक नहीं पहुँच पाती है । और जब इस बात को लेकर मनोज गोस्वामी हल्द्वानी में लगे डीजीपी अशोक कुमार के जनता दरबार में पहुंचता है तो पुलिस उसे वहाँ से भी उठा ले जाती है ताकि उच्च अधिकारियों तक स्थानीय पुलिस की कारगुजारियाँ पता न लग जाएँ जिसके बाद मनोज गोस्वामी उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से मिलता है जिस पर जिले के एसएसपी कांग्रेसी नेता जिस पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज़ है जिलाबदर करने की कार्यवाही के निर्देश जारी करते है लेकिन कांग्रेसी नेताओं के दबाव के चलते कार्यवाही नहीं हो पाती और कई महीनों तक फाइल लटक जाती है अवैध खनन पर स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही न होने पर पीढ़ित कुमाऊँ मंडलायुक्त से मिलता है जिस पर कुमाऊँ मंडलायुक्त दीपक रावत अवैध खनन को रोकने के लिए संबन्धित विभाग को निर्देश जारी करते है जैसे ही मनोज गोस्वामी शिकायत कर मंडलायुक्त के कार्यालय से निकलता है तो घात लगाए कुछ लोग पीढ़ित मनोज गोस्वामी और उसके बच्चे पर लोहे की रौड से वार करते है पीढ़ित के हेलमेट पहने होने की वजह से रौड का वार विफल हो जाता है और मनोज गोस्वामी के कंधे पर चोट लगती है जिसके बाद मनोज गोस्वामी अपनी जान बचाने को भागता है कई लोगों से मदद मांगने के बाद एक परिचित की मदद से उनके घर में पनाह मिलती है और फिर पुलिस को सूचना दी जाती है पुलिस मौके पर पहुँचती है और हमलावर फरार हो जाते है जिसके बाद पीढ़ित फिर इसकी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है और पुलिस नामजद तहरीर के आधार पर कई संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर देती है जिसमें हत्या की कोशिश करने की धारा 307 भी आरोपियों पर लगाई जाती है लेकिन उसी दिन अचानक चमत्कार होता है और कई महीनो से जिलाबदर को लटकी फाइल आगे बढ़ती है और हमले के कुछ घंटे पहले ही मुख्य आरोपी कांग्रेसी नेता हृदयेश कुमार को नैनीताल से जिलाबदर कर दिया जाता है ।
कल शाम 6 अगस्त को इस मामले में एक नया मोड आ गया जिसमें अवैध खनन में लिप्त हिस्ट्रीशीटर के खिलाफ शिकायत करने वाले हल्द्वानी निवासी मनोज गोस्वामी पर शनिवार देर शाम ऑटो चालक राजू आर्या ने मुकदमा दर्ज करवाया है शिकायत के अनुसार 6 अगस्त की शाम 5 बजे जब वो ऑटो लेकर घर जा रहा था तब मनोज गोस्वामी ने ऑटो रुकवा कर उसके साथ मारपीट की और उसकी चाबी छीन ली। तहरीर में राजू ने लिखवाया है कि “मनोज ने उससे कहा कि हिस्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार के खिलाफ लिखाये गए केस में उसकी ओर से गवाह बन जाये और बदले में दस हजार ले ले,इस पर मैंने गलत गवाही देने से इंकार कर दिया,तो मनोज ने मुझे थप्पड़ मारने शुरू कर दिए और फिर मारपिटाई करने लगा।” राजू ने तहरीर में ये भी कहा है कि मनोज ने उसे धमकी दी है अगर उसने गवाही नही दी तो मनोज उसे और उसके परिवार को जान से मार देगा।
यहाँ हैरानी इस बात की है कि जो समय और दिन राजू ने अपनी तहरीर में लिखवाया है उस दिन ठीक उसी समय मनोज गोस्वामी नैनीताल जिला मुख्यालय में मौजूद था। अब सवाल उठता है कि एक ही समय एक ही व्यक्ति दो जगह कैसे मौजूद हो सकता है? मनोज गोस्वामी नैनीताल जिला मुख्यालय अपनी मां भाई और बेटे के साथ आये थे और पौने पांच बजे तक नैनीताल में ही थे हनुमान गढ़ी में मौजूद लोगों से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
जब इस बाबत काठगोदाम के प्रभारी निरीक्षक से हमने बात करी तो उनके द्वारा बताया गया कि मनोज गोस्वामी के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट मिलने पर कार्यवाही की गई है और मामूली धारा 323, 504,506 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया है इस मामले की जाँच चल रही है और मनोज गोस्वामी के दोषी पाए जाने पर चार्जशीट दाखिल की जाएगी। वही हिस्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार के ऊपर लगी धारा 307 के बारे मे पूछे जाने पर उनके द्वारा जाँच अधिकारी त्रिभुवन जोशी से संपर्क करने को कहा वही उनके द्वारा जो नंबर जाँच अधिकारी से संपर्क करने को दिया गया वो रिचार्ज ना करने के कारण बन्द पड़ा मिला जिससे जाँच अधिकारी का बयान नही दर्ज हो पाया।
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