कैलाश मानसरोवर यात्रावृत्तान्त: प्रथम संस्करण को सफलता अपार, द्वितीय संस्करण भी अब तैयार।

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कमल कवि काण्डपाल।


कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आधारित यात्रावृत्तांत “कच्चे रास्ते पक्के सबक” दीपा तिवारी जी का लिखा यात्रा वृत्तांत पाठकों को खूब पसंद आया,पाठकों द्वारा इस यात्रा वृत्तान्त को खूब सराहा गया। पाठकों की सराहना से अभिभूत होकर समय साक्ष्य प्रकाशन द्वारा इसका द्वितीय संस्करण भी प्रकाशित हो चुका है। संगम न्यूज से खास बातचीत में लेखिका ने बताया कि बीते 6 माह पूर्व ही उनके प्रथम संस्करण की 800 प्रतियां प्रकाशित हुई थी। पाठकों द्वारा दिए गए सुझावों से ही उन्हें दूसरे संस्करण प्रकाशित करने की प्रेरणा मिलती है।द्वितीय संस्करण की भूमिका समाज वैज्ञानिक प्रशिक्षक, घुम्मकण डाॅ अरूण कुकसाल जी द्वारा लिखी गई है। और द्वितीय संस्करण के कवर पेज को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय की फाइन आर्ट छात्रा रूचिका रावत द्वारा डिजाइन किया गया है।

“कच्चे रास्ते पक्के सबक” मानसरोवर यात्रा के दौरान का यात्रा वृत्तांत है । किस प्रकार विषम परिस्थितियों में लेखिका द्वारा मजबूत हौसले से इस कठिन यात्रा को पूरा किया और कितनी बारिकी और बेबाकी से यह किताब लिखी है यात्रा के दौरान हर पड़ाव पर रूकना उस स्थान की संस्कृति भौगोलिक परिस्थितियों आदि के बारे में वहां के लोगों से जो महत्वपूर्ण जानकारियां इस किताब में उल्लेखित हैं।

कच्चे रास्ते पक्के सबक का द्वितीय संस्करण।
कच्चे रास्ते पक्के सबक का प्रथम संस्करण

कच्चे रास्ते पक्के सबक यात्रा वृत्तान्त की लेखिका दीपा तिवारी हैं इनका जन्म 26 जनवरी 1969 को रानीखेत में हुआ था कुमाऊं विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र
एवं शिशास्त्र में एम. ए. ,बी. एड. व बी.टी.सी. की शिक्षा प्राप्त की है वर्तमान में लेखिका राजकीय इंटर कालेज महाकालेश्वर चौखुटिया में शिक्षिका हैं। दीपा तिवारी कला, संगीत, साहित्य एवं लेखन के साथ ही साहसिक यात्रा, ड्राइविंग और यायावरी का जुनून है ।
पुरवासी,बाल प्रहरी एवं विभागीय पत्रिकाओं में इनकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित हैं आकाशवाणी अल्मोड़ा से समय-समय पर वार्तायें और रचनायें प्रसारित हुई हैं ।दीपा तिवारी अध्यापक दक्षता पुरस्कार (1997) से पुरस्कृत किया गया है,लेखिका योगाचार्य भी है।

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