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उत्तराखंड के उत्तरकाशी मे हुए हिमस्खलन मे लापता पर्वतारोहियों को बचाने के लिये बचावदल ऐड़ी चोटी का जोर लगा चुका है मगर इस समय भी इस अभियान में सफलता मिलना अत्यंत ही मुश्किल लग रहा है, आइए जानते है क्या कारण है जो इस बचाव और राहत कार्य को दुनिया का सबसे कठिन बचाव अभियान में से एक माना जा रहा है, वो कुछ तथ्य जिनको समझकर आप समझेंगे की इस बचाव अभियान की क्या एहमियत है।
- अभियान 5000 मीटर की ऊँचाई पर हो रहा है जिसका मतलब यहाँ बचाव कार्य मात्र ऐसी स्तिथि मे हो सकता है जब पर्याप्त रोशनी हो और धूप खिली हो। घुप के जाते ही यहाँ तापमान बहुत जल्दी गिरता है जो परिस्थितियों को और विषम बनाता है।
- उच्च हिमालयी क्षेत्र मे ऑक्सीजन की कमी भी सामने आती है जिसकी वजह से भारी कार्य करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
- पर्वतारोहण के शिक्षार्थियों को हिमस्खलन के समय बर्फ की खाई में ट्रेनिंग चल रही थी और लगभग सभी लोग कैरावास के भीतर से बाहर निकलने का प्रशिक्षण कर रहे थे, हिमस्खलन के दौरान ये सभी वही फसे रह गये।
- ये जगह सड़क से 22 किलोमीटर दूर है और यहाँ पहुँचना अपनेआप मे एक बड़ा काम है।
- निम स्वयं इस तरह की आपदा आने पर सरकार और बचावदल का सहियोग करती है और संस्था अपनेआप मे एक बचावदल है और अगर स्वयं बचावदल को मदद माँगनी पड़ जाये तो समझ लीजिये कितनी बड़ी आपदा है ये।
बचाये गये लोगो की सूची।
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