उत्तराखंड पुलिस द्वारा किए गए एक और कारनामे पर अदालत ने मां की हत्यारोपी बेटे को बेइज्जत बरी कर दिया। दिसम्बर 2020 में हल्द्वानी तहसील अंतर्गत गोलपार क्षेत्र में एक महिला की हत्या हुई थी जिसके बाद मृतका की बेटी ने हत्या की प्राथमिकता दर्ज कराई थी। नैनीताल पुलिस ने छानबीन कर हत्या के आरोप में मृतका के बेटे राहुल शाही को गिरफ्तार किया। साक्ष्यों में पुलिस द्वारा बताया गया कि आरोपी राहुल शाही के कपड़ो में मृतका के खून के निशान पाए गए थे वहीं आरोपी के नाखून में मृतका का बाल भी मिले थे जिसकी फॉरेंसिक जांच में पुष्टि हुई थी, पुलिस द्वारा आरोपी के नजदीक ही एक चाकू भी बरामद किया गया था जिसको आरोपी की निशानदेही पर बरामद किया गया था। इन तथ्यों के आधार पर पुलिस ने सीधे तौर पर मृतका के बेटे को दोषी मान लिया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस खबर को लेकर एसएसपी नैनीताल के दूरभाष पर संपर्क करना चाहा पर कोई जवाब नहीं मिला।l
अब चार साल बाद आरोपी को अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया गया और बचाव पक्ष ने बताया कि आरोपी जब कमरे में पहुंचा तो मृतका घायल अवस्था में थी और उसके द्वारा मृतिका को गोद में लिया गया जिस कारण मृतिका का खून उसके कपड़ो में लग गया और इसी दौरान मृतिका के बाल भी आरोपी के नाखून में मिले। बचाव पक्ष ने यह भी बताया कि जिस चाकू को पुलिस ने तथाकथित खूनी हथियार बताया है वो सब्जी काटने वाला चाकू है और इससे हत्या नहीं करी जा सकती।
सभी साक्ष्यों को सुनने के बाद आज जिला जज द्वारा आरोपी पुत्र को साक्ष्यों के अभाव में बेइज्जत बरी कर दिया।
इस घटना के बाद एक बार फिर उत्तराखंड पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहा है जिनके द्वारा सही से एक मौत की पैरवी या तहकीकात नहीं की गई और एक मासूम को अंदर कर एक हत्यारे को बाहर खुले में घूमने में मदद की। उत्तराखंड पुलिस क्या इस मामले में आगे की पैरवी करती है यह देखने लायक होगा मगर एक बार फिर कुछ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर (आई ओ) पैसों में बिक जाते है यह सवाल बाकी रह जाता है।