हल्द्वानी: अस्पताल गेट पर प्रसव, जिम्मेदार मौन तो जिम्मेदारी लेगा कौन

कवि काण्डपाल हल्द्वानी – राज्य में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली कोई नया मामला तो नहीं है हर रोज यहां इस तरीके के मामले आते रहते हैं और सरकारी व्यवस्थाओं और सत्ता धारियों की पोल खोलते रहते हैं। इससे पहले के ज्यादातर मामले पहाड़ों के होने के कारण तमाम जिम्मेदार भौगोलिक स्थिति या अन्य बहाने बनाकर पल्ला झाड़ते हुए देखे जाते हैं, लेकिन इस बार एसा ही एक मामला मैदानी जिलों की स्वास्थ्य सुविधाओं पर और स्वास्थ्य विभाग की तमाम व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
बता दें की खटीमा निवासी प्रीति शुक्रवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन खटीमा के ही एक सरकारी अस्पताल में भर्ती करने ले गए जहां डॉक्टर ने प्रीति की जांच कर परिजनों को ऑपरेशन करने की सलाह दी लेकिन साथ ही यह भी बताया की उनके अस्पताल में एनेस्थेटिक डॉक्टर छुट्टी पर है और अस्पताल मे ऑपरेशन करना संभव नही है। ऐसे में प्रीति के पति मनोज कुमार और परिजन प्रीति को हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल लेकर आ गए।
शुक्रवार आधी रात को डॉक्टर ने परिजनों को बताया कि प्रीति का ऑपरेशन नहीं नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगी, इसपर प्रीति ने प्रसव पीड़ा का हवाला देकर डाक्टरों से ऑपरेशन करने की गुहार लगाई मगर डॉक्टर अपनी बात पर कायम रहे।
इसी बीच उसे अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। अत्यधिक प्रसव पीड़ा से परेशान होने लगी डाक्टरों को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने प्रीति को यहां से डिस्चार्ज कर दिया । परिजनों ने आरोप लगाया है कि डाक्टरों ने उनको धोखे में रखकर डिस्चार्ज पेपर पर साइन कर लिए हुए पत्नी को भारती करने के लिए कई बार गिड़गिड़ाये लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी मजबूरी में प्रीति को रात 3:00 बजे महिला अस्पताल ले जाया गया परिजनों ने बताया की एसटीएच में चेकअप करने की बात पता चलते ही महिला अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया और असहनीय दर्द के चलते प्रीति ने अस्पताल गेट के बाहर ही बच्चे को जन्म दे दिया महिला अस्पताल के स्टाफ को जब पता चला तो वह बच्चे को लेकर चले गए लेकिन प्रीति की कोई सुध नहीं ली। प्रीति के पति मनोज ने बताया कि जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं प्रीती के पति मनोज कुमार ने बताया की शुरूआती जांच में पता चला था बच्चा उल्टा है मगर बाद में उसका बच्चा सीधा हो गया इसी को लेकर उसकी पत्नी डरी हुई थी

वही महिला अस्पताल की सी एम एस डॉ उषा जंगपांगी ने बताया सिस्टर ने गर्भवती महिला को अस्पताल से वापस करने से पहले किसी डॉक्टर से स्वीकृति नहीं ली यह नियम का उल्लंघन है जिस के लिए सिस्टर को फटकार लगाई गई है तथा इसमें आगे की जांच की जाएगी।

खटीमा से आई गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा तेज हो रही थी उसने ऑपरेशन करने के लिए कहा था डॉक्टर ने कहा की इसकी जरूरत नहीं है।बाद में महिला स्वयं यह लिखकर चली गई की उसे यहां से रेफर कर दिया जाए डॉक्टर ने यह भी बता दिया था उसका इस तरह जाना ठीक नहीं है।
डा अरूण जोशी प्राचार्य मेडिकल कॉलेज

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Pahadi Bhula

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