

एनयूजे उत्तराखंड दया अध्यक्ष व गुरुरानी बने महासचिव हल्द्वानी। नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (एनयूजे) का राज्य स्तरीय द्विवार्षिक महाधिवेशन हल्द्वानी में संपन्न हो गया। इस दौरान नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया गया। बागेश्वर जिले के दो मीडिया कर्मियों को कार्यकारिणी में अहम जिम्मेदारी मिली है।
कार्यकारिणी में दो सचिव चयनित होने थे, सचिव पद के लिए बागेश्वर के जगदीश उपाध्याय, पौड़ी के पुष्पेंद्र राणा और हरिद्वार के प्रमोद पाल के बीच चुनाव हुआ, जिसमें 16 मत लाकर जगदीश और 15 मत लाकर पुष्पेंद्र सचिव बने, प्रमोद को पांच मत मिले।
इसके अलावा कार्यकारिणी में दो संगठन मंत्री चंपावत से गिरीश बिष्ट, अल्मोड़ा से कैलाश भट्ट और दो प्रचार मंत्री चंपावत के बाबा आदित्यनाथ, जसपुर के समीर परवेज भी निर्विरोध बने। नौ कार्यकारिणी सदस्यों में बागेश्वर जिले से संजय साह जगाती भी शामिल हैं।
रविवार को सभी चयनित पदाधिकारियों का मल्यार्पण कर स्वागत किया गया और उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेयर गजराज सिंह बिष्ट, विशिष्ट अतिथि विधायक लालकुआं मोहन सिंह बिष्ट, दर्जा राज्यमंत्री दिनेश आर्य, राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट, वरिष्ठ पत्रकार गणेश पाठक रहे। इस मौके पर नैनीताल के जिला अध्यक्ष धर्मानंद खोलिया, महासचिव ईश्वरी दत्त भट्ट के अलावा सभी जिलों से आए मीडियाकर्मी मौजूद रहे।
संगठन एक परिवार, हर कोई समझे अपनी हल्द्वानी। राज्यस्तरीय महाधिवेशन के दौरान संगठन के संस्थापक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक चंद्र भट्ट ने नई कार्यकारिणी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि संगठन एक परिवार की तरह होता है।
हर किसी सदस्य की इसमें अपनी भूमिका होती है। उन्होंने नई कार्यकारिणी के साथ-साथ सभी सदस्यों से संगठन को आगे बढ़ाने के लिए तन, मन, धन से सहयोग करने को कहा। उन्होंने कहा कि जब हर कोई सदस्य अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से समझेगा, तभी संगठन की गाड़ी सही दिशा में आगे बढ़ेगी।
सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कहा कि वह सिर्फ इस कार्यक्रम के लिए देहरादून से आए हैं। उनके पद की कई सीमाएं हैं। दो साल पहले वह रुद्रपुर भी आए थे। जनप्रतिनिधि की अपनी गरिमा होती है। उनके रहने से कार्यक्रम में उल्लास रहता है। विधायक और मेयर ने पत्रकारिता पर जो बात की, उनका संज्ञान लेना जरूरी है। परस्पर संवाद होना जरूरी है।
मेयर गजराज बिष्ट ने कहा कि किसी भी युग में पत्रकारों का महत्व कम नहीं हुआ और न कभी होगा। राज्य आंदोलनों में अखबारों की भूमिका अहम रही। पुराने पत्रकारों को नए पत्रकारों से बात करनी चाहिए। नकारात्मक खबरों की बजाय जनता के बीच स्पष्ट बात जानी चाहिए। सत्यता लोगों तक जानी चाहिए।


