अंकिता हत्याकांड पर भले ही पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही हो मगर दो अलग अलग बयान पर पुलिस फसती नज़र आ रही है।
आज सुबह उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार (आईपीएस) का एक बयान आया जिसमे उन्होंने अंकिता गुमशुदगी मामले को राजस्व पुलिस को रेगुलर पुलिस के हवाले करने की बात कही साथ ही डीजीपी उत्तराखंड द्वारा उक्त प्रकरण में 3 अभियुक्तों की गिरफ्तारी बाबत जानकारी भी वीडियो के माध्यम से दी।
थोड़ी देर बाद जनपद पौड़ी गढ़वाल पुलिस द्वारा उक्त घटनाक्रम में एक प्रेस जारी कर जानकारी दी कि उक्त प्रकरण में अभियुक्तों से पूछताछ में पता चला है कि अभियुक्तों द्वारा अंकिता भंडारी को सुनसान जगह पर लेजाकर शराब पिलाई गयी तत्पश्चात शराब के नशे में हत्या कर नहर में फेंक दिया। इस प्रेस मे अंकिता के शव को खोजने के बाबत भी जानकारी दी गयी।
वही शाम को उत्तराखंड पुलिस के ट्विटर पर गोताखोरों द्वारा चीला रोड पर चलाये जा रहे खोजी अभियान के विषय मे जानकारी दी जिसमे उत्तराखंड पुलिस ने उल्लेख किया अभियुक्तों ने आपसी विवाद के बाद पीड़िता को चीला रोड के निकट नहर में धक्का दे दिया जिससे बाद वो डूब गई।
अब यहाँ ये सवाल खड़ा होता है कि क्या अंकिता की हत्या कर शव नहर में फेंका गया या अंकिता को जीवित रहते नहर में फेंका गया और क्या अंकिता की मृत्यु डूबने से हुई है?
पुलिस द्वारा अगर समय रहते इस घटना पर ध्यान दिया होता तो शायद अंकिता आज हमारे बीच होती।
वही प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा भी इस मामले का संज्ञान लेकर पुलिस को कठोरतम कार्यवाही करने का निर्देश दिया है उन्होंने कहा ” आज सचिवालय में पुलिस महानिदेशक को ऋषिकेश घटना को लेकर सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जिस किसी ने ये जघन्य अपराध किया है उसे हर हाल में कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी। पुलिस अपना कार्य कर रही है। पीड़िता को न्याय दिलाना सुनिश्चित किया जाएगा।”