प्रेरणादायक: एम.ए की पढ़ाई के साथ-साथ , ऐपण कला के क्षेत्र में अपने हुनर को भी तराश रही हैं सोमेश्वर की रेखा बोरा।

कमल कवि काण्डपाल।

अगर आपको कुछ करने का हुनर हो तो आप अपने व्यस्ततम समय में भी हुनर को तराशकर मुकाम पा सकते हैं।एसा ही कुछ कर रहीं हैं अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर क्षेत्र के अधूरिया निवासी रेखा बोरा। रेखा बोरा वर्तमान में सोमेश्वर से अपने एम.ए की पढ़ाई के साथ साथ पारम्परिक लोक कला ऐपण को संरक्षित करने का काम कर रही हैं।रेखा बोरा पारम्परिक ऐपण से आकर्षक चित्र, दीवार पेंटिंग्स, धार्मिक कार्यों के लिए चौकियां,ऐपण राखियां सहित हस्त निर्मित राखियों का भी निर्माण कर रही हैं। रेखा बोरा तेजी से बड़ रही आधुनिकता के इस दौर में भी अपनी पारंपरिक लोककला को सहेज रही है, और साथ अपने समय का सकारात्मक उपयोग कर अपने हुनर को भी प्रदर्शन कर रही है।

लोककला ऐपण में समय के साथ आये हैं बदलाव।
ऐपण उत्तराखंड की महिलाओं द्वारा प्रचलित एक पारंपरिक लोक कला है जो विशेष अवसरों और अनुष्ठानों पर घर की दीवारों पूजा स्थलों पर उकेरी जाती हैं और शुभ मानी जाती हैं।
माना जाता हैकि ऐपण दैवीय शक्ति का आह्वान करता है जो सौभाग्य लाता है और बुराई को रोकता है। गेरू या लाल मिट्टी के ऊपर चावल के आटे से बने सफेद पेस्ट से कलाकृति बनाई जाती है। बदलते दौर में गेरू के बदले लाल पेंट और बिस्वार (चावल के आटे) के बदले सफेद पेंट का प्रयोग भी किया जाने लगा है।ऐपण अक्सर पूजा कक्षों के फर्श और दीवारों और घरों के प्रवेश द्वार पर बनाये जाते है।ऐपण बनाने में काफी मेहनत बारिकी और एकाग्रता की आवश्यकता होती है,अधिक कामकाजी दौर में यह कला अब धीरे धीरे पीछे छूट रही है।ऐसे रेखा बोरा जैसै तमाम लोग इस लोककला को सहेजने का प्रयास कर रहे हैं।

रेखा बोरा द्वारा ऐपण कला से बनाई गई पेंटिंग।

संगम न्यूज से खास बातचीत में रेखा बोरा ने बताया कि उनके घरों में अक्सर जब भी किसी सुअवसर पर उनकी माताजी,ताईजी एवं अन्य परिवारजन ऐपण करते थे, जिससे प्रभावित होकर उन्हें यह कार्य रूचिकर लगने लगा, और कोरोना लाकडाउन के खाली समय में उन्होंने यह कार्य शुरू किया जिसमें उनकी सहेली दीक्षा द्वारा उनकी मदद भी की गई। रेखा बोरा ने बताया कि वो इस कार्य को करने से काफी खुश हैं और उनके परिजनों द्वारा उनको कार्य के प्रति सराहना मिलती, उन्होंने बताया कि वो ऐपण कला के क्षेत्र में आगे और भी अभिनव प्रयोग कर इसे आजीविका से जोड़ने का प्रयास करेंगी और आत्मनिर्भर भारत की तरफ अग्रसर होगी ।
टीम संगम न्यूज परंपरागत लोककला को सहेजने संरक्षित करने की दिशा में रेखा बोरा द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।

Himfla
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